बलम घर आए फागुन मा । कुमाऊँनी होली गीत

बलम घर आए फागुन मा 

कुमाऊँनी होली में हर परिस्थिति के लिए अलग-अलग गीतों को लिखा गया है

जिनके पिया यानि पतिदेव शहरों में नौकरी करने गए हैं उनकी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बलम घर आयो फागुन मा नामक होली लिखी गई है।

 

बलम घर आए फागुन मा.., सजना घर आए फागुन मा
बलम घर आए फागुन मा

जिसके पिया परदेश सिधारे.., आम लगाए बागन मा ।
सजन घर आए कौन दिना ?

चैत मास मा बन-फल पाके.., आम पाके सावन मा ।
बलम घर आए फागुन मा

गऊ को गोबर से आंगन लिपयो.., मोतियन चौंक पुरावन को
सजन घर आए कौन दिना ?

आए पिया मैं हरस भई हूं.., मंगल-काज करावन में
बलम घर आए फागुन मा

पिया बिन बसन रहे सब मेले.., चोली-चादर भिजावन मा
सजन घर आए कौन दिना

भोजन-पान बनावै मन में.., लड्डू-पेढा लाव मा
बलम घर आए फागुन मा

सुन्दर तेल-फुलेल लगायौ.., स्यूनि-सिंगार करावन मा ।
सजन घर आए कौन दिना

वस्त्र-आभूषण साज सजायौ.., लगि रही पहिरावन मा
बलम घर आयो फागुन मा

 

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नोट- यह लेख श्रीमान गिरीश काण्डपाल जी की पुस्तक “प्राचीन कुमाऊँनी होलियों का संलग्न” पर आधारित है।

error: थोड़ी लिखने की मेहनत भी कर लो, खाली कापी पेस्ट के लेखक बन रहे हो!