Headline

कुमाऊँनी होली – सांवरिया मोहन गिरधारी

सांवरिया मोहन गिरधारी

कुमाऊँनी होली के गीतों में प्रसिद्ध गीत है “सांवरिया मोहन गिरधारी”। यह गीत बैठक होली तथा खड़ी होली दोनों में अलग-अलग गायन शैली में गायी जाती है॥

सांवरिया मोहन-गिरधारी, सांवरिया मोहन-गिरधारी।
दिखावे लीला न्यारी-न्यारी, सांवरिया मोहन-गिरधारी॥
चंद्र सखी गोरस के निकासी, बीच मिलो है गिरधारी।
सांवरिया मोहन-गिरधारी॥
मोर मुकुट पीतांबर सोहे, कुंडल छवि है न्यारी।
हाथ लकड़िया मुख में मुरलिया, कंधे एक कमलिया है काली।
सांवरिया मोहन-गिरधारी॥
दही दोनों खाई मटकी दोनों फोड़े, मखमल की अंगिया फाड़ी।
लेकर क्या कदम चढ़ बैठो, हम जमुना तीर हैं ठाड़ी।
सांवरिया मोहन-गिरधारी॥
चीर हमारो दे गिरधारी, तेरे चरण की बलिहारी।
चीर तुम्हारो जबहि मिलेगो, हो जाओ जल से न्यारी।
सांवरिया मोहन-गिरधारी॥
जल से नारी कैसे हुए, तुम हो पुरुष हम हैं नारी।
सांवरिया मोहन-गिरधारी, सांवरिया मोहन गिरधारी॥

 

👉 इस होली को भी पढ़े – बलम घर आए फागुन मा ।

👉हां हां हां मोहन गिरधारी

आप हमें यूट्यूब पर भी फौलो कर सकते हैं।।  👉click

पहाड़ और पहाड़ से जुड़ी जानकारियों के लिए आप Thepahad.com के साथ बने रहे॥

हम आपको उत्तराखंड के समस्त त्योहारों-पर्वो, रिति-रिवाजों के साथ-साथ उत्तराखंड में घटने वाली घटनाओं की जानकारी भी देते रहेंगे।।

नोट-  यह लेख डा० निर्मला कोरंगा जी व डा० अनुराधा त्रिपाठी जी की किताब कुमाऊँनी होलीयां से प्रेरित होकर लिखी गई है।

error: थोड़ी लिखने की मेहनत भी कर लो, खाली कापी पेस्ट के लेखक बन रहे हो!