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स्यालदे बिखोती मेला द्वाराहाट में सबसे विशेष रहा यह झोड़ा।

स्यालदे बिखोती मेला द्वाराहाट

स्यालदे बिखोती मेला द्वाराहाट

अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट में होने वाला स्यालदे-बिखोती का मेला कुमाऊं के सबसे बड़े मेलों में से एक है, इस मेले में चार चांद लगाते हैं कुमाऊनी परंपरागत नृत्य छोलिया व झोड़ा-चाचरी में कदम मिलाते लोग
और हुड़के की ताल में जोड़ मारते(तंज कसते) बूबू और उनका साथ देते गांव वासियों को देखकर आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा।

कुमाऊनी संस्कृति का संगम होता है स्यालदे बिखोती मेला द्वाराहाट में

पिछौड़ा, नथ और गलोबंद (कुमाऊनी परिधान) पहनकर न्योली, झोड़ा-चाचरी-छपेली गाती हुई महिलाएं, दर्जनों दमुवा- नगाड़े (वाद्य यंत्र) , निशाण (ध्वज) के साथ हसी मजाक करते हुए चलती हुई भीड़ इस मेले की शोभा बढाते हैं।
बिखोती मेले के बारे में कहा जाता है कि जो भी द्वाराहाट इस मेले में जाता है उसे ओड़ा भेटना यानि (ओड़े पर चोट मारना) जरूरी होता है

क्या है ओड़ा और इसके पीछे की कहानी –

ओड़ा (वड़ा) कहा जाता है कि वर्षों पहले किसी कारण से मेले में गए हुए समूह में से दो गांवों के बीच भयंकर खूनी संघर्ष हो गया, इस संघर्ष में हारे हुए दल के सरदार का सिर कट गया, जिस जगह पर उसके सिर को दफनाया गया वहां पर स्मृतिस्वरुप एक पत्थर रखा गया जिसे ओड़ा कहा जाता है।
अब पंरपरा बन चुकी है इस पत्थर पर चोट मारना, कहा जाता है कि इसपर चोट किए बिना आगे बढना शुभ नहीं होता है।।

ये हैं मेले में गाए गए विशेष झोड़े के बोल

पेपर है गो लीक हो बूबू… आंठ चली गे आंठा। आहां गरीबूं लिजी नौकरी नैहैं… हमार टूटा भांटा।
उनरी है रै खुब कमाई… हमार टूटा भांटा। कसीकै हुंछौ ब्या हो बूबू… आंठ चली गे आंठा।

इस झोड़े का अर्थ निकलेगा

दादाजी पेपर लीक हो रहे हैं क्योंकि नोटों की गड्डियां चल रही है। हम गरीबों के लिए नौकरी नहीं है हमारी सिर्फ कमर टूट रही है। उन लोगों की खूब कमाई हो रही हमारी बस कमर टूट रही है। दादाजी ऐसे में कैसे हमारी शादी होगी क्योंकि नौकरी के लिए खूब पैसे चल रहे हैं।

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