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Shankar Bhandari

मेरा नाम शंकर सिंह भण्डारी है, मैं उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का निवासी हू, लिखना मेरा शौक है और जो लिखता हूँ डंके की चोट पर लिखता हूँ। मेरी लिखावट किसी की भावनाओं को आहत करती है तो ये उसकी खुद की गलती मानी जाएगी क्योंकि मैं ऐसा ही हूं और लिखते समय भावनाओं के चक्कर में मैं पड़ता भी नहीं हूं। आहत भावनाओं वाले मेरे लेखों को न पढें। धन्यवाद🌐

जंगलों में लगी आग पर राजेंद्र सिंह भण्डारी जी द्वारा लिखी गई कुमाऊनी कविता।

राजेंद्र सिंह भंडारी द्वारा रचित कुमाऊनी कविता! छु को जो पहाड़ा जंगलों में आग भड़कौण में लागि र

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बारिश से तबाही, प्रकृति ले रही है इंसानों से बदला! जंगलों की आग तो बुझी लेकिन जनजीवन अस्त-व्यस्त।

बारिश से जंगलों की आग बुझी लेकिन इंसानों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है, प्रकृति अपना बदला धे रही है

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error: थोड़ी लिखने की मेहनत भी कर लो, खाली कापी पेस्ट के लेखक बन रहे हो!