समय से पहले सूख रहे हैं बुरांश के फूल
पर्वतीय क्षेत्रों की शान और पहाड़ों की रानी बुरांश का फूल खिलने से पहले ही सूखने लगा है पहाड़ों में बुरांश के फूल को अप्रैल माह में होने वाले त्योहार फूलदेई के महीनों बाद तक खिलता हुआ देखा जाता था लेकिन इस बार यह फूल जनवरी-फरवरी में ही सूखने लगा है, इसको लेकर पर्यावरणविदों ने चिंता जाहिर की, इस संबंध में हमने उत्तराखंड के प्रख्यात पर्यावरण प्रेमी चंदन सिंह नयाल जी से बात की और उनसे इसके कारणों को जानने की कोशिश की तो चन्दन नयाल जी ने बताया कि इस साल न तो बारिश हुई है और न ही बर्फबारी, फल और फूल लगने के लिए पेड़ पौधों को जो नमी की आवश्यकता होती है वह नहीं मिल पाने के कारण ही फूल सूख रहे हैं
बर्फ़बारी का न होना जलवायु परिवर्तन की निसानी
उन्होने बताया कि आज से 15-20 साल पहले तक हमारे गावों में हर साल कई फुट तक बर्फ गिरती थी, फिर बर्फबारी का स्तर एकदम से कम हो गया, पिछले 10 सालों तक घरों में हल्की-फुल्की बर्फबारी तो होती ही थी लेकिन जैसे-जैसे आधुनिकीकरण का बोलबाला हुआ तो वो बर्फ चोटियों तक सीमित हो गया लेकिन इस साल न तो बर्फ गिरी है और न ही कुछ खास बारिश हुई है, इन सभी का कारण जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय ग्लोबल वार्मिंग तथा रूस युक्रेन युद्ध में इस्तेमाल हो रहे मिसाइलों से उत्पन्न गर्मी भी इसका कारण है, साथ ही हमारे देश हर साल लाखों की संख्या में खरीदे जा रहे वाहनों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाली जहरीली गैसों का उत्सर्जन भी इस जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है।
इस साल होगी भयंकर गर्मी
चन्दन नयाल जी ने इस साल भयंकर गर्मी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अब दिल्ली और उत्तराखंड की गर्मी में ज्यादा अंतर नहीं होगा और ऐसा ही चलते रहा तो आने वाले सालों में हमारी नदियां सूख जाएंगी और ये हरे भरे पहाड़ मात्र पत्थर और मिट्टी के ढेर बनकर रह जाएंगे।
हमें समय रहते ये समझ जाना चाहिए की जो ग्लोबल वार्मिंग की बातें पहले अन्तर्राष्ट्रीय स्तर में होती थी आज उत्तराखंड उसी समस्या से जूझ रहा है, उत्तराखंड में बर्फ़बारी का न होना जलवायु परिवर्तन की निसानी है|
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