भारत में महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या की घटनाएं।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ॥ अर्थात जहां महिलाओं की पूजा होती है (यानी जहां महिलाओं को सम्मान मिलता है) वहां देवता निवास करते हैं और जहां उनका सम्मान नहीं होता वहां किए गए सारे अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं।
जिस देश के धर्म ग्रंथो में इस तरह की बातें लिखी हो आज उसी देश में आए दिन बलात्कार और हत्या के सैकड़ों मामले दर्ज हो रहे हैं यह एक बहुत ही गंभीर और सोचने वाला विषय है, पिछले कुछ सालों में हमारे देश में बलात्कार और उसके बाद हत्या के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं, यहां सरकारें बदल रही हैं, नेता बदल रहे हैं, नेताओं के भाषण बदल रहे हैं, घोषणाएँ और वादे बदल रहे हैं लेकिन घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
यहां साल दर साल लगातार बलात्कार और हत्या जैसे न जाने कितनी ही घटनाएं हो रही हैं पर इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है, आखिर ऐसा क्यों?
देश में महिलाओं की हत्या व बलात्कार की कुछ प्रमुख घटनाएं
पिछले कुछ समय से हमारे देश में बलात्कार और हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ते जा रही है जिनमें से कुछ प्रमुख घटनाओं का हम यहां पर जिक्र करेंगे, अगर बात करें तो उसमें सबसे पहले अंकिता भंडारी हत्याकांड का जिक्र होता है।
अंकिता भण्डारी हत्याकांड (सितंबर 2022)
18 सितंबर 2022 की घटना जिससे पूरे देश में आक्रोश पैदा हुआ, दिल्ली में निर्भया हत्याकांड के बाद यह दूसरा ऐसा मामला था जिससे पूरा देश आक्रोशित हो उठा।
खबरें आ रही थी कि पौड़ी के एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी कर रही अंकिता भंडारी को उसी रिसोर्ट के मालिक पुलकित आर्य जोकि भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है, ने अपने साथियों के साथ मिलकर मार डाला, बताया जा रहा था कि पुलकित आर्य उस रात अंकिता भण्डारी से किसी वीआईपी को स्पेशल सर्विस दिलाना चाहता था (यानी किसी वीआईपी के साथ रात गुजारने का दबाव बना रहा था)।
इस घिनौने कार्य के लिए मना करने पर उसने अपने साथियों के साथ मिलकर अंकित की हत्या कर दी, इस घटना में बहुत हद तक ये भी संभव हैं कि अंकिता का बलात्कार हुआ हो और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई हो परंतु अपराधी सत्ता पक्ष और देश की सबसे बड़ी पार्टी से जुड़ा हुआ था तो इसलिए अपराधी को बचाने का हर संभव प्रयास किया गया।
कोलकाता मेडिकल कॉलेज की घटना (अगस्त 2024)
इसी साल 9 अगस्त 2024 को कोलकाता में एक हृदय विदारक घटना सामने आयी जिसमें कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डाक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना हुई।
पश्चिम बंगाल के कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में वहां काम करने वाली एक नर्स के साथ दुष्कर्म किया गया तथा उसकी हत्या कर दी गई इस घटना में वहां के पूर्व प्रिंसीपल संजय घोष सहित 4 डाक्टरों पर शक की सुई जाती दिख रही है, इस घटना में यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य सरकार तथा पुलिस प्रशासन ने इस जघन्य आपराध पर पर पर्दा डालने का और मामले को रफा-दफा करने का हर संभव प्रयास किया गया।
उत्तरप्रदेश के हाथरस की घटना (अक्टूबर 2020)
अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय लड़की का सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया जिसे दबाने के लिए वहां की योगी सरकार (बुलडोजर सरकार) ने रात के 2:30 बजे जबरन उसकी अंतिम संस्कार करवा दिया ताकि मामला शांत हो जाए।
प्रज्वल रेवन्ना के कुकर्मों की पेनड्राइव (अप्रैल 2024)
अप्रैल 2024 को पूरे देश को सर्मशार करने वाला एक मामला सामने आया कर्नाटक से।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते व पूर्व मुख्यमंत्री एचडी रेवनना के बेटे प्रज्वल रेवन्ना के 2500 से अधिक वीडियो फोटो से भया पैनड्राईव सामने आया जिसकी वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगे जिसमें प्रज्वल ने 300 से अधिक महिलाओं के साथ जबरन दुष्कर्म किया और उनकी वीडियो भी बनाई। घटना शर्मशार तब बनी जब इसी दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुले मंचों से उनके लिए वोट तक मांग रहे थे।
रूद्रपुर में नर्स का बलात्कार और हत्या (जुलाई 2024)
उत्तराखंड की रुद्रपुर में 30 जुलाई 2024 को एक नर्स के साथ दुष्कर्म व हत्या का मामला सामने आया जिस खबर को न तो राष्ट्रीय मीडिया ने दिखाया ना ही स्थानीय मीडिया ने इस घटना को प्राथमिकता दी, यह खबर भी लाखों खबरों की तरह दबकर रह गई।
बलात्कार और हत्या पर राजनीतिक
देश में हो रहे बलात्कार और हत्या के मामलों पर अगर हम चर्चा करने लग जाए तो हजारों लाखों ऐसे मामले सामने आ जाएंगे जिन पर कभी पैसे के बल पर तो कभी सत्ता की ताकत के द्वारा पर्दा डाल दिया गया, सिर्फ कुछ ऐसे मामलों को उजागर किया जाता है जहां राजनीतिक दलों और दालों के पिछलग्गू लोगों या अपनी राजनीति रोटियां सेखनी होती हैं।
राजनीतिक पार्टियों का नशा
अगर हम बात करें उत्तराखंड की घटनाओं की तो यहां भाजपा के नेता बिल्कुल शांत थे और विपक्ष के नेता खूब धरना प्रदर्शन कर रहे थे क्योंकि मामला भाजपा नेता के बेटे के साथ जुड़ा हुआ था, वही बात अगर कोलकाता की करें तो उस पर विपक्ष बिल्कुल ही मौन है या फिर गिने – चुने शब्दों में उन घटना की निंदा कर रहा है
जबकि भाजपा व उसके समर्थक पूरी आक्रामकता के साथ अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं क्योंकि मामला पश्चिम बंगाल का है जहां ममता बनर्जी की सरकार है और घटना से जुड़ा हुआ व्यक्ति के तार कहीं ना कहीं ममता बनर्जी की पार्टी से मेल खाते हुए नजर आ रहे हैं।
दल के दलदल में जनता
वहीं अगर बात करें यूपी के घटना की तो अयोध्या और अन्य जगहों पर जो भी घटनाएं सामने आ रही है उनका जिक्र तभी हो रहा है जब घटनाओं का जिक्र किसी मुसलमान या फिर किसी गैर भाजपाई दल से जुड़ा हुआ हो जैसे अयोध्या की घटना में समाजवादी पार्टी से जुड़ा हुआ अपराधी था तो उसी का जिक्र किया जा रहा है
जबकि रुद्रपुर की घटना जो कि यूपी में ही हुई है और पूरा मामला उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच का है इसका जिक्र नहीं हो रहा है क्योंकि इसमें ना तो कोई धार्मिक एंगल नजर आ रहा है और ना ही इसमें किसी और पार्टी से जुड़े हुए व्यक्ति का नाम आ रहा है, इस खबर को दबाने का प्रयास शायद इसीलिए भी किया जा रहा है क्योंकि दोनों राज्यों में भाजपा की ही सरकार है और भाजपा खुद नहीं चाहती कि उसकी बदनामी हो।
इसी प्रकार अन्य राज्यों में जैसे दिल्ली की घटना पर केजरीवाल और उसकी पार्टी के लोग नहीं चाहेगा कि उसकी पार्टी का नाम और उनकी सरकार बदनाम हो, इसी प्रकार कांग्रेस शासित प्रदेशों में कांग्रेस नेता घटनाओं को दबाने का प्रयास करते हैं, जिस प्रकार ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में दबाने का प्रयास कर चुकी है।
इसका पूरा निष्कर्ष तो यही निकलता है कि राजनीतिक दल और उनके समर्थक अपने लोगों यानी अपने नेताओं और अपनी पार्टियों को बचाने के लिए इंसानियत को भी भूल जाने को तैयार हो जाते हैं।
मीडिया की भूमिका
खबरों के आदान-प्रदान के लिए मीडिया की प्रमुख भूमिका होती है लेकिन भारतीय मीडिया हिजड़ों की भांति हमेशा सत्ता पक्ष के लिए तालियां बजाता नजर आता है, जिसके लिए उन्हें समय-समय पर शगुन की राशि मिलते रहती है, आज नां तो भारतीय मीडिया की कोई विश्वसनीयता रह गई है और नां ही राष्ट्रीय चैनलों के पत्रकारों की कोई औकात, देखा जाए तो अब पत्रकारों का काम सिर्फ जनता को गुमराह कर सत्ता पक्ष की चाटुकारिता करना ही रह गया।
भारत में रेप के लिए सजा का क्या प्रावधान है?
भारतीय संविधान के आईपीसी की धारा 376 के अंतर्गत बलात्कार जैसे दुष्कर्म के लिए कम से कम 7 साल व अधिक से अधिक आजीवन कारावास के दंड का प्रावधान किया गया है, यदि बलात्कार पीड़िता नाबालिक है उसकी उम्र 10 साल से कम है तो इसके लिए अधिकतम आजीवन कारावास या मृत्यु दंड का भी प्रावधान है।
नोट –
वर्तमान में धारा 375 और 376 की जगह धारा 63 कर दी गई है तथा सामूहिक बलात्कार की धारा 70, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 कर दी गई है।।
हमारा सबसे बड़ा सवाल यही है कि
देश में सजा का प्रावधान है, लिखित नियम हैं उन्हें लागू करने के लिए पूरा सरकारी तंत्र है फिर भी ऐसी घटनाएं बढती जा रही हैं तो इन धाराओं और कानूनों का क्या फायदा जब आम जनता में उसका खौफ ही नहीं है तो?
देश में इस तरह की घटनाओं को पूरी तरह से रोकने के लिए क्या-क्या उपाय अपनाए जाने की आवश्यकता है?
यह विषय हम अपने पाठकों पर छोड़ रहे हैं और हमें उम्मीद है कि आप सभी इसपर गहनता से विचार-विमर्श करने के बाद अपना सुझाव हमें Email या Whatsapp पर अवश्य भेजेंगे। हम चुनिंदा पाठकों की प्रतिक्रियाओं को अपने किसी लेख में शामिल जरूर करेंगे।