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उठ मिलो भरत रघुपति आए॥ कुमाऊँनी होली गीत

रावण का वध करने के बाद जब भगवान राम अयोध्या नगरी वापस आते हैं उस समय भरत जी की खुशी का कोई ठिकाना न था, उसी भावनात्मक क्षण को दर्शाती हुई यह मनमोहक होली कुमाऊँनी होली के दौरान गायी जाती है।

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कुमाऊँनी होली गीत

उठ मिलो भरत रघुपति आए, उठ मिलो भरत रघुपति आए।सूरज आए चंदा आए, नौ लख तारा संग ललाए।

उठ मिलो भरत रघुपति आए॥

मुकुदा हाथी जरद अभाये, हनुमंत चंवर डुलत आये। गौतम नारी अयोध्यापुर के, भारी-भारी थाल भरा लाये।

उठ मिलो भरत रघुपति आए॥

बहु मेवा पकवान मिठाई, कंचन थाल भरत लाये, चारों भाई मिलन लागे, नैना नीर दुरत आये।

उठ मिलो भरत रघुपति आए॥

कहां-कहां भाई विपत पड़ी है, फिर कहां कहां भाई सुख पाए।आंद्र खंड में बिपत पड़ी, रावण मारे सुख पाए।

उठ मिलो भरत रघुपति आए ॥

राम लक्ष्मण जीमन बढ़े रुचि

राम लक्ष्मण जीमन बढ़े रुचि, भोग लगा लाए। मातु कौशल्या मंगल गावै, केकई मन में पछताए।

उठ मिलो भरत रघुपति आए॥

कुमाऊँ की होली में इसी प्रकार सैकड़ों होलियों को गाया जाता है कुछ होली हमने पहले भी लिखी हुई हैं आप नीचे दिए गए होलियों के टाइटल पर टच कर पढ सकते हैं 👉

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error: थोड़ी लिखने की मेहनत भी कर लो, खाली कापी पेस्ट के लेखक बन रहे हो!