सोमेश्वर में आनलाइन ठगी ।
आजकल उत्तराखंड के लगभग सभी ग्रामीण क्षेत्रों में आनलाइन ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चियों को टारगेट किया जा रहा है। सोमेश्वर क्षेत्र के कई गांवों में महिलाओं और बुजुर्गों के साथ धोखाधड़ी हो चुकी है, तहकीकात करने पर पता लगा कि उन्हें फोन आता है और बताया जाता है कि आपके बैंक में केवाईसी नहीं हुई है, आपका आधार और पैन लिंक नहीं हैं, आपका मोबाइल नंबर अपडेट नहीं है। इसीलिए आपको मिलने वाली योजनाओं के सभी लाभ बंद कर दिए गए हैं , अगर आप उन्हें खुलवाना चाहते हैं तो हम आपको एक लिंक भेज रहे हैं इसपर क्लिक करें और उसमें डिटेल भरने के बाद सबमिट कर दें और आपकी केवाईसी पूरी हो जाएगी। या फिर हमें जानकारी दे दीजिए हम यहीं से कर देंगे आपकी केवाईसी।
कई लोगों को QR कोड भेजकर स्कैन करने और पेमेंट रिसीव करने के नाम पर ठगा जा रहा है, बहुत बड़ी संख्या में लोग इनके झांसे में आ रहे हैं और ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं लेकिन शासन-प्रशासन घोड़े बेचकर सोया हुआ है।
आनलाइन ठगी पर उत्तराखंड पुलिस का जागरूकता अभियान भी कारगर नहीं
एक तरफ उत्तराखंड पुलिस पिछले कई महीनों से ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के तरीके बता रही है, लोगों को कह रही है कि “अपना ओटीपी किसी के साथ शेयर ना करें, अपना सीवीवी किसी को ना बताएं”, “अपने एटीएम के पिन की जानकारी किसी को न दें”, “QR कोड पेमेंट करने के लिए होता है लेने के लिए नहीं”।
उत्तराखंड पुलिस के इतने क्रिएटिविटी से भरे हुए जागरूकता एडवर्टाइजमेंट भी फेल नजर आ रहे हैं क्योंकि इतने विज्ञापनों के बावजूद पहाड़ों में लोग साइबर फ्राडियों के झांसे में आ रहे हैं। आखिर क्यों?
कहां से आ रहा है इनके पास लोगों का डाटा?
ये बात भी सामने आ रही है कि ये लोग सरकारी अधिकारी बनकर बुजुर्गों और बच्चियों को फोन कर रहे हैं और नाम इत्यादि के साथ आधार नंबर, मोबाइल नंबर, पता, विभागीय फार्म में भरी हुई डिटेल बताकर उनका भरौसा जीत रहे हैं। तथा गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड कराने की तारीख, अस्पताल का नाम और बच्चे को जन्म दे चुकी महिलाओं को वात्सल्य योजना के नाम पर बच्चे का नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि और अस्पताल का नाम, आशा का नाम, डाक्टर का नाम सहित और भी गोपनीय जानकारियां बताकर उनका भरौसा जीत रहे हैं।
कहीं ये जिला या राज्य स्तर के विभागों की मिलीभगत तो नहीं।
जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं अगर वह सच हैं तो धोखाधड़ी के इन मामलों में कहीं जिला स्तरीय या राज्य स्तर के विभागों में कार्यरत अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं है? क्योंकि जिस तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं उनसे यह संदेह होता है कि जरूर कोई न कोई विभाग का ही आदमी इस मामले में लिप्त है, वही लोगों का डाटा इस गिरोह को बेच रहा है।
इसकी जांच होनी चाहिए और जो भी व्यक्ति इस अपराध में दोषी पाया जाता है उसके घर की नीलामी कर उसे बर्खास्त करना चाहिए।। और अगर ये लोग इंटरनैट के माध्यम से डाटा चोरी कर रहे हैं उसपर भी नकेल कसने की आवश्यकता है।
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